Dastan-e-gardis
दास्तान-ए-गर्दिश में खामोश मेरी जुबानी है... (Dastaan-e-gardish mein khamosh meri jubani hai...) है सब मौन, फिर भी गूंजती एक वाणी है... (Hai sab maun, fir bhi gunjati ek vani hai...) जोग कर जिसे पिरोया हमने... (Jog kar jise piroya hamne...) ये उन्हीं टूटे ख़्वाबों की मेहरबानी है...! (Ye unhi tutte khwabon ki mehrbani hai...!) पूछती है ये नफ़सी हवा (मुझसे)... (Puchhti hai ye nafsi hawa (mujhse)...) करके इश्क़ क्या संजोया तूने... (Karke ishq kya sanjoya tune...) बांध कर तमन्ना-ए-महफ़िल... (Bandh kar tamanna-e-mehfil...) क्या ही खोया तूने...? (Kya hi khoya tune...?) जो मालूम तुझे, एक हीर-रांझे की कहानी है...! (Jo maloom tujhe, ek Odysseus ki kahani hai...!) है कुछ नहीं, तेरी कल्पनाओं की दास्तानी है...! (Hai kuch nahi, teri kalpanao ki dastaani hai...!) जो आज खामो...